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Sunday, May 24, 2009

स्मृतियों के आइने

स्पर्श से वाणी के तुम्हारी , वो स्मृतियाँ फिर हो आई |
सोकर यादों के सिरहाने पर , आंखें फिर भर आई ||

नील-श्वेत अंबर में , मेघ श्याम भर आए |
अतृप्त-सी धरा पर , अंगारे बरसाये |
सूने हृदय के आँगन में , हर कली थी मुरझाई ||
स्पर्श से वाणी के तुम्हारी , वो स्मृतियाँ फिर हो आई |
सोकर यादों के सिरहाने पर , आंखें फिर भर आई ||

चक्षुओं में पानी जब आए , कर को भर-भर जाएं |
तप्त-रात्री सूर्य की किरणें , अग्नि-सी जलाएं|
दिवा-रात्रि एक कर डाली , निंद्रा नहीं आई ||
स्पर्श से वाणी के तुम्हारी , वो स्मृतियाँ फिर हो आई |
सोकर यादों के सिरहाने पर , आंखें फिर भर आई ||

तुम्हारे आँचल की छाया में , सारी दुनिया थी समाई |
आज फिर आकर तुमने , मधुर स्वपन की याद दिलाई |
हृदय से लगाकर तुम्हारी पवित्रता, मृदा मेरी जगमगाई ||
स्पर्श से वाणी के तुम्हारी , वो स्मृतियाँ फिर हो आई |
सोकर यादों के सिरहाने पर , आंखें फिर भर आई ||

PARAMVEER
MAY 23rd,2009

P.S.: join me also on mypoeticaccent.blogspot.com now!!

6 comments:

PULKIT said...

beautifully written param!
thats pure hindi poetry... with not urdu biased approach...
Whenever I tend to write in hindi I land up with an urdu mix compilation!
:D

Paramveer said...

i hv studied sanskrit in my early age so i got sm better words of hindi....
i would be better blogger if start write in hindi....LOL...:)

Femin Susan said...

I am not much fluent in Hindi. Any way congratulation to you.

Naina said...

oh my god Paramveer.. I didnt know you write such good hindi poetry too.. god bless!

Cheers,
Kajal(the pink orchid)

The Literary Jewels said...

What a beautiful ending:
स्पर्श से वाणी के तुम्हारी , वो स्मृतियाँ फिर हो आई |
सोकर यादों के सिरहाने पर , आंखें फिर भर आई ||
I liked the whole poem infact. Keep up the good work.

ePandit said...

सुन्दर कविता परमवीर जी। किशोर हृदय की भावनाओं को शब्दों में बखूबी पिरोया आपने।

वैसे इस कविता के स्तर को देखते हुये आपसे और भी ऐसी सुन्दर कविताओं की उम्मीद है।

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श्रीश बेंजवाल, यमुनानगर
http://shrish.in